Pitra Paksha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष 2025 का समापन 21 सितंबर (रविवार) को होगा। इस पखवाड़े में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने की परंपरा है।
आधुनिक युग और ऑनलाइन श्राद्ध
डिजिटल युग में अब लोग ऑनलाइन श्राद्ध और पिंडदान की बुकिंग कराने लगे हैं। गया, काशी, हरिद्वार और नासिक जैसे तीर्थ स्थलों पर पंडितों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से यह सेवाएं उपलब्ध हैं।
शास्त्रों का मत: अपने हाथों से श्राद्ध करना श्रेष्ठ
धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों का मानना है कि पितरों की आत्मा की तृप्ति तभी होती है जब श्राद्ध और तर्पण स्वयं अपने हाथों से किया जाए। केवल पैसे देकर ऑनलाइन करवाया गया श्राद्ध पितरों को पूर्ण संतोष नहीं दिलाता। (Pitra Paksha 2025)
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क्यों ऑनलाइन श्राद्ध को गलत माना जाता है?
श्राद्ध कर्म में जल अर्पण और पिंड (भोजन) अर्पित करना शामिल है। यह कार्य जब अपने हाथों से किया जाता है तभी पितर तृप्त होते हैं। गया, हरिद्वार, काशी और नासिक जैसे तीर्थों पर किया गया पिंडदान विशेष फलदायी होता है।














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