क्वांटम दुनिया की खासियत (Quantum World Explained)
एटम से भी छोटे कण हमारे रोज़मर्रा की दुनिया से बिलकुल अलग तरीके से व्यवहार करते हैं। ये कण कभी एक ही समय में कई जगह मौजूद हो सकते हैं (Superposition) या फिर दीवार जैसी बाधाओं को पार कर सकते हैं (Quantum Tunnelling)। यही नियम Quantum Mechanics कहलाते हैं।
2025 का फिज़िक्स नोबेल – किसे और क्यों मिला?
जॉन क्लार्क, मिशेल डेवरट और जॉन मार्टिनिस को इस साल का Nobel Prize in Physics 2025 दिया गया है। उन्हें यह सम्मान “Macroscopic Quantum Mechanical Tunnelling और Electric Circuit में Energy Quantisation की खोज” के लिए मिला है।
उनकी खोज ने यह साबित किया कि अरबों कणों से बने बड़े सिस्टम भी खास परिस्थितियों में क्वांटम व्यवहार दिखा सकते हैं।
क्वांटम कंप्यूटर की नींव (Foundation of Quantum Computing)
यह रिसर्च 1980 के दशक में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में हुई थी। इस काम ने आगे चलकर Quantum Computers के विकास की नींव रखी। आज क्वांटम कंप्यूटिंग सबसे बड़ी वैज्ञानिक रिसर्च में से एक है।
जोसेफसन जंक्शन और सुपरकंडक्टर्स (Josephson Junction Discovery)
1973 में ब्रायन जोसेफसन को एक खास Electric Circuit पर नोबेल मिला था, जिसमें दो Superconductors को एक Insulator के बीच जोड़ा गया था। सामान्य हालात में करंट बहना नामुमकिन था, लेकिन Quantum Tunnelling की वजह से करंट आसानी से बहा। इसी सेटअप को Josephson Junction कहा गया।
क्लार्क, डेवरट और मार्टिनिस की उपलब्धि
1984–85 में किए गए उनके प्रयोगों ने साबित किया कि पूरा सर्किट discrete energy states में रहता है और Quantum Tunnelling दिखा सकता है। यानी यह पहली बार था जब क्वांटम व्यवहार को मैक्रोस्कोपिक स्तर पर देखा गया।
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आधुनिक विज्ञान पर असर
🔹 इस खोज ने यह दिखाया कि कितने बड़े सिस्टम तक क्वांटम प्रभाव देखे जा सकते हैं।
🔹 इसने Quantum Bits (Qubits) यानी क्वांटम कंप्यूटर की सूचना इकाई के विकास को रास्ता दिखाया।
🔹 आज superconducting circuits क्वांटम कंप्यूटिंग की सबसे लोकप्रिय टेक्नोलॉजी मानी जाती है।
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https://en.wikipedia.org/wiki/John_Clarke_(Baptist_minister)
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