Mehndi History: करवा चौथ 2025 इस बार 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और सोलह शृंगार करती हैं। इनमें सबसे खास होता है हाथों और पैरों पर रची मेहंदी, जो हर शादी और त्योहार की शान बन चुकी है। लेकिन सवाल यह है कि – क्या मेहंदी भारतीय परंपरा का हिस्सा शुरू से रही है या इसे मुगल भारत में लाए थे?
प्राचीन भारत में क्या था मेहंदी का ज़िक्र?
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि प्राचीन भारतीय परंपरा में मेहंदी का उल्लेख नहीं मिलता।
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पुराने समय में महिलाएं महावर (आलता) से हाथ-पैर सजाती थीं।
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सोलह शृंगार में बिंदी, सिंदूर, नथ, चूड़ी, मंगलसूत्र, पायल, गजरा और आलता तो शामिल था, लेकिन मेहंदी का ज़िक्र नहीं था।
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आज भी कई राज्यों की महिलाएं पैरों के लिए आलता का प्रयोग करती हैं।
मिस्र (Egypt) से मिला मेहंदी का पहला प्रमाण
इतिहासकारों के अनुसार, शरीर पर मेहंदी लगाने की परंपरा 5,000 साल पुरानी है।
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मिस्र की ममी में मेहंदी के निशान पाए गए।
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उनके बाल, नाखून और त्वचा पर लाल-भूरे रंग का उपयोग देखा गया।
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इसका मतलब यह कि मेहंदी का इस्तेमाल भारत आने से पहले ही अफ्रीका और मध्य-पूर्व में हो रहा था।
सल्तनत और मुगलों के साथ भारत में मेहंदी का आगमन
कई विद्वान मानते हैं कि 12वीं शताब्दी में मुस्लिम सल्तनत के साथ मेहंदी भारत आई।
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पहले मुस्लिम महिलाएं इसका इस्तेमाल करती थीं।
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मुगल काल में इसका चलन तेजी से बढ़ा।
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मुगल महारानियां अपनी हथेलियों और पैरों पर मेहंदी सजाती थीं।
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यहीं से धीरे-धीरे हिंदू घरों में भी मेहंदी का रिवाज शुरू हुआ।
मुगल पेंटिंग्स और मेहंदी के डिजाइन
मुगल कालीन पेंटिंग्स में महिलाओं को हमेशा मेहंदी लगी हथेलियों और उंगलियों के साथ दिखाया गया है।
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इसके बाद से मेहंदी भारतीय शादी और त्योहारों का अहम हिस्सा बन गई।
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आज यह न सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि इसे शुभ और मंगलकारी भी माना जाता है। (Mehndi History)
क्यों चढ़ता है मेहंदी का गाढ़ा रंग?
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मेहंदी के पौधे का वैज्ञानिक नाम Lawsonia inermis है।
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इसकी पत्तियों में लॉसन (Lawsone) नामक लाल-नारंगी मॉलिक्यूल होता है।
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यह त्वचा में मौजूद कैराटिन से जुड़कर गहरा रंग छोड़ता है।
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इसलिए मेहंदी का रंग समय के साथ और भी गाढ़ा होता है।
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मेहंदी के औषधीय गुण
मेहंदी सिर्फ सजने-संवरने के लिए नहीं, बल्कि एक औषधि भी है।
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इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।
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इसका इस्तेमाल खुजली, एलर्जी और घावों के इलाज में भी किया जाता है।
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कॉस्मेटिक्स, दवाइयों और हेयर डाई में भी मेहंदी का उपयोग होता है।
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