Indira Ekadashi 2025: इंदिरा एकादशी को श्राद्ध एकादशी भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष की सबसे खास एकादशी मानी जाती है।
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इस दिन व्रत और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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पितरों के लिए किया गया दान, तर्पण और पिंडदान उनके पापों का नाश करता है और उन्हें मोक्ष प्रदान करता है।
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ऐसा माना जाता है कि पितरों की प्रसन्नता से घर में सुख-समृद्धि, परिवारिक शांति और मान-सम्मान बढ़ता है।
शुभ मुहूर्त
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एकादशी तिथि प्रारंभ: 17 सितंबर रात 12:21 बजे
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एकादशी तिथि समाप्त: 17 सितंबर रात 11:39 बजे
इंदिरा एकादशी पारण का समय
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18 सितंबर सुबह 6:07 बजे से 8:34 बजे तक पारण करना शुभ माना गया है।
इंदिरा एकादशी पूजन विधि
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सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें।
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भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप की पूजा करें।
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उन्हें पीले फूल, पंचामृत, तुलसी और फल अर्पित करें।
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पूरे दिन फलाहार या हल्का भोजन करें, इससे व्रत का अधिक लाभ मिलता है।
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शाम को भगवान विष्णु की आरती करें और मंत्र जाप करें।
पितरों के तर्पण का महत्व
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जिन लोगों की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो, उनका श्राद्ध इस दिन करने से भी पुण्य मिलता है।
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इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और उन्नति के लिए तर्पण और दान-पुण्य करना अत्यंत लाभकारी होता है। (Indira Ekadashi 2025)
पितृ शांति के लिए विशेष उपाय
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उड़द की दाल से बने बड़े और पूड़ियाँ बनाकर पितरों को अर्पित करें।
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चावल का प्रयोग न करें।
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एक कंडा या उपला जलाकर उस पर उड़द दाल की आहुति दें।
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भगवद गीता का पाठ करें और गरीबों को भोजन कराएँ।
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इंदिरा एकादशी का फल
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पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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घर-परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है।
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व्रती को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और जीवन से कष्ट दूर होते हैं।














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