𝚃𝚑𝚎 𝙽𝚒𝚝𝚢𝚊𝚖

📢 हर दिन की सच्चाई

Tata Group Crisis After Ratan Tata’s Death: ट्रस्टीज़ के बीच मतभेद से बढ़ी टेंशन, जानिए पूरा मामला

Tata Group Crisis After Ratan Tata’s Death: ट्रस्टीज़ के बीच मतभेद से बढ़ी टेंशन, जानिए पूरा मामला

रतन टाटा के जाने के बाद बढ़ी चुनौतियां

रतन टाटा के निधन के एक साल बाद, टाटा समूह एक बार फिर गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। नमक से लेकर इस्पात, ऑटोमोबाइल से लेकर टेक्नोलॉजी तक — हर क्षेत्र में मौजूद टाटा ग्रुप अब अपने ही ट्रस्टीज़ के बीच चल रहे आंतरिक विवादों से घिरा है।

टाटा समूह, जिसने जगुआर लैंड रोवर (JLR) और टेटली टी जैसे ब्रिटिश ब्रांड्स को नया जीवन दिया था, अब उसी बोर्डरूम में मतभेदों से जूझ रहा है जिसने उसे एक वैश्विक शक्ति बनाया था।

ट्रस्टियों के बीच टकराव — आखिर झगड़ा किस बात पर है?

बीते कुछ महीनों में टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज़ के बीच बोर्ड नियुक्तियों, वित्तीय स्वीकृतियों और टाटा संस को पब्लिक लिस्ट करने के मुद्दे पर भारी मतभेद सामने आए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ ट्रस्टी कंपनी के फैसलों में अधिक शक्ति चाहते हैं और बोर्ड में अपने पसंदीदा लोगों को बैठाने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं, टाटा संस में 18% हिस्सेदारी रखने वाला शापूरजी पालूनजी (SP) ग्रुप कंपनी को शेयर बाज़ार में लाने की मांग कर रहा है, जबकि ज्यादातर ट्रस्टी इसके खिलाफ हैं।

IPO पर विवाद — पारदर्शिता बनाम नियंत्रण की लड़ाई

SP ग्रुप का कहना है कि IPO लाना पारदर्शिता और बेहतर गवर्नेंस की दिशा में कदम होगा, जबकि ट्रस्ट्स का तर्क है कि इससे समूह पर बाज़ार का दबाव बढ़ेगा और सामाजिक उद्देश्यों से समझौता करना पड़ेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, टाटा समूह के लिए यह टकराव सिर्फ नियंत्रण की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह तय करेगा कि समूह की भविष्य की दिशा क्या होगी — व्यावसायिक विस्तार या परोपकारी संतुलन

टाटा ग्रुप के सामने अन्य संकट

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब समूह इलेक्ट्रिक वाहनों, सेमीकंडक्टर और एयर इंडिया के पुनरुद्धार जैसे नए क्षेत्रों में बड़ा निवेश कर रहा है।

हाल में एयर इंडिया की विमान दुर्घटना और जगुआर लैंड रोवर (JLR) पर हुए साइबर हमले ने टाटा की छवि को झटका दिया है।
साथ ही, TCS (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) में छंटनी और एक बड़े विदेशी कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने से भी चिंता बढ़ी है।

ब्रांड इमेज पर असर — निवेशकों में अनिश्चितता

ब्रांड एक्सपर्ट दिलीप चेरियन के अनुसार,

“टाटा की साख को लगातार झटके लग रहे हैं — एयर इंडिया हादसा, JLR साइबर अटैक और अब बोर्डरूम झगड़ा, ये सब निवेशकों में अस्थिरता बढ़ा रहे हैं।”

अब निवेशक सिर्फ शेयर प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि नेतृत्व और प्रबंधन की पारदर्शिता पर भी सवाल उठा रहे हैं।

Also Read – Cipla Share Price: ₹7,500 करोड़ से ज्यादा की ऐतिहासिक कमाई, 2026 तक लॉन्च होंगे 4 बड़े रेस्पिरेटरी प्रोडक्ट्स…

विशेषज्ञों की राय — नया युग या गहराता संकट?

मैरीलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मिर्चा रयानू के मुताबिक,

“यह मतभेद अनसुलझे मुद्दों के दोबारा उभरने जैसा है। यह दिखाता है कि फाउंडेशन-ओनरशिप मॉडल में पारदर्शिता की कमी किस तरह संकट को जन्म दे सकती है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *