Mughal History: मुगल काल भारत के इतिहास का वह दौर है, जिसकी चर्चा आज भी होती रहती है — कभी उनकी विलासिता, कभी उनकी क्रूरता और कभी उनके हरम और शादियों के कारण। मुगल वंश ने करीब 300 सालों तक भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया, और उनके शासनकाल की कई रोचक बातें आज भी इतिहासकारों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करती हैं।
आइए जानते हैं — मुगलों में सबसे ज्यादा शादियां किस बादशाह ने कीं और उनसे कितनी संतानें हुईं।
अकबर – सबसे अधिक शादियां करने वाले मुगल बादशाह
इतिहास में दर्ज है कि बादशाह अकबर (1556-1605) ने सबसे अधिक विवाह किए थे।
उनकी शादियां सिर्फ निजी कारणों से नहीं थीं, बल्कि राजनीतिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक उद्देश्य से भी जुड़ी थीं।
अकबर के विवाहों ने मुगल साम्राज्य को उत्तर-पश्चिम भारत में स्थिरता और विस्तार दिलाया।
अकबर की शादियों का रहस्य और उद्देश्य
इतिहासकार अबुल फज़्ल (आइने-अकबरी, अकबरनामा), बदायूनी, और आधुनिक विद्वान विन्सेंट स्मिथ तथा आर.सी. मजूमदार के अनुसार —
अकबर ने राजपूताना के कई राजवंशों से विवाह किए। ये विवाह राजनीतिक गठबंधन का हिस्सा थे, जिनसे राजपूतों को सम्मान, उपाधियां और जागीरें दी गईं, जिससे मुगल प्रशासन को नई मजबूती मिली। इन वैवाहिक संबंधों ने अकबर के शासन में धार्मिक सहिष्णुता (सुल्ह-ए-कुल) और सांस्कृतिक समन्वय को भी बढ़ावा दिया।
अकबर की प्रमुख पत्नियां
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मरियम-उज़-ज़मानी (जोधा बाई) – आमेर (जयपुर) की राजकुमारी
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रुकैया सुल्तान बेगम – हुमायूं की भतीजी
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सलिमा सुल्तान बेगम – बैरम खान की विधवा
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इसके अलावा राजपूत, अफगान और तुर्क मूल की कई अन्य रानियां हरम में थीं।
इतिहासकारों के अनुसार, अकबर की शादियों की संख्या दर्जनों से लेकर सौ से अधिक तक बताई जाती है, हालांकि सटीक संख्या पर मतभेद हैं।
अकबर की संतानें — कौन बना उत्तराधिकारी?
इतिहास में तीन पुत्र प्रमुख रूप से दर्ज हैं —
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जहांगीर (सलीम) – मरियम-उज़-ज़मानी से जन्मे, आगे चलकर अकबर के उत्तराधिकारी बने।
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मुराद – गुजरात अभियानों में सक्रिय, पर शराब की लत से मृत्यु (1599)।
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दानियाल – बहादुर माने गए, लेकिन अत्यधिक मद्यपान से निधन (1605 से पहले)।
अकबर के निधन के समय केवल जहांगीर जीवित और सक्षम उत्तराधिकारी थे, इसलिए वही सम्राट बने। (Mughal History)
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सत्ता किसे और क्यों मिली?
मुगल परंपरा में ज्येष्ठ पुत्र स्वतः उत्तराधिकारी नहीं होता था।
सत्ता उसी को मिलती थी जो —
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जीवित और योग्य हो,
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दरबार के अमीरों और सेनापतियों का समर्थन रखता हो,
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और राजनीतिक वैधता साबित कर सके।
जहांगीर के पास ये सभी गुण थे, इसलिए वह अकबर के बाद गद्दी पर बैठे।
इतिहास क्या कहता है?
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अकबरनामा और आइने-अकबरी अकबर के शासनकाल, नीतियों और हरम के प्रमुख स्रोत हैं।
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मुन्तख़ब-उत-तवारीख़ जैसे ग्रंथों में आलोचनात्मक दृष्टिकोण भी मिलता है।
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आधुनिक इतिहासकार जैसे इरफान हबीब, सतीश चंद्र, जे.एफ. रिचर्ड्स, और जदुनाथ सरकार के अनुसार,
अकबर की वैवाहिक नीतियों ने मुगल साम्राज्य को स्थिरता और दीर्घायु दी।
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