Mahalaya Amavasya 2025: हिंदू धर्म में महालया अमावस्या को विशेष महत्व प्राप्त है। यह दिन पितृ पक्ष के समापन और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान के जरिए श्रद्धांजलि दी जाती है और मां दुर्गा कैलाश पर्वत से प्रस्थान कर धरती पर आगमन करती हैं।
तिथि
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तिथि: 21 सितंबर 2025, रविवार
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इसी दिन पितृ लोक की विदाई होती है और माता रानी अपने परिवार सहित धरती पर आती हैं।
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इसके अगले दिन, 22 सितंबर 2025 (सोमवार) से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होगा।
श्राद्ध मूहूर्त
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कुतुप मूहूर्त: सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 (49 मिनट)
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रौहिण मूहूर्त: दोपहर 12:38 से 01:27 (49 मिनट)
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अपराह्न काल: दोपहर 01:27 से 03:53 (2 घंटे 26 मिनट) (Mahalaya Amavasya 2025)
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क्या करें?
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इस दिन पिंडदान और तर्पण कर पितरों को विदाई दी जाती है।
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गंगा स्नान और तर्पण से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
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मान्यता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य कई गुना फलदायी होता है।
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पितरों की कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
महालया अमावस्या और नवरात्रि का संबंध
महालया अमावस्या के बाद शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस दिन दुर्गा पूजा की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जाता है और विशेष रूप से देवी की आंखों में रंग भरे जाते हैं, जिसे “चक्षु दान” कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह दिन आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का भी मार्ग माना जाता है।
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