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आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर: टैक्सपेयर्स को जल्द फाइल करने की अपील…

आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर: टैक्सपेयर्स को जल्द फाइल करने की अपील

income tax return : 15 सितंबर 2025 को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की आखिरी तारीख है। अब तक 4.56 करोड़ से ज्यादा करदाता अपने रिटर्न फाइल कर चुके हैं और अंतिम तारीख नजदीक आते ही फाइलिंग की रफ्तार और तेज हो गई है।

आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि करदाताओं को “आखिरी समय तक इंतजार नहीं करना चाहिए”, क्योंकि इससे सर्वर पर दबाव बढ़ जाता है और कई बार असुविधा भी होती है।

ITR फाइल करने की आसान प्रक्रिया

आयकर विभाग ने प्रक्रिया को बेहद सरल बना दिया है। कोई भी करदाता खुद ऑनलाइन रिटर्न दाखिल कर सकता है:

  1. incometax.gov.in पर PAN/आधार और पासवर्ड से लॉगिन करें।

  2. e-File → Income Tax Return → File Income Tax Return पर जाएं।

  3. Assessment Year (AY) 2025–26 चुनें।

  4. अपनी श्रेणी के अनुसार सही ITR फॉर्म का चयन करें।

  5. पहले से भरी डिटेल्स (जैसे सैलरी, TDS, बैंक इंटरेस्ट) चेक करें।

  6. छूटी हुई इनकम/डिडक्शन जोड़ें और Old या New Tax Regime चुनें।

  7. सबमिट करें और ITR की कॉपी सुरक्षित रखें।

कौन-सा ITR फॉर्म किसके लिए?

आयकर विभाग हर साल अलग-अलग कैटेगरी के लिए ITR फॉर्म जारी करता है। सही फॉर्म चुनना जरूरी है, नहीं तो रिटर्न डिफेक्टिव (defective) माना जाएगा।

  • ITR-1 (सहज) – वेतनभोगी (Salaried) व्यक्तियों के लिए।

  • ITR-2 – व्यक्तियों या HUFs (जिनकी बिज़नेस/प्रोफेशन इनकम नहीं है) के लिए।

👉 HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) एक अलग टैक्स इकाई होती है, जो संपत्ति या अन्य स्रोतों से कमाई कर सकती है।

देर से ITR भरने पर पेनल्टी और ब्याज

अगर कोई करदाता 15 सितंबर की अंतिम तारीख के बाद ITR दाखिल करता है, तो उस पर लेट फीस लगती है:

  • ₹5,000 तक जुर्माना – अगर आय ₹5 लाख से अधिक है।

  • ₹1,000 तक जुर्माना – अगर आय ₹5 लाख से कम है।

  • इसके अलावा, लंबित टैक्स पर प्रति माह 1% ब्याज भी देना होगा।

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ITR फाइलिंग में लगातार बढ़ोतरी

आयकर विभाग के अनुसार, भारत में टैक्सपेयर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है।

  • AY 2024–25 में 7.28 करोड़ ITRs दाखिल किए गए (31 जुलाई 2024 तक)।

  • AY 2023–24 में यह संख्या 6.77 करोड़ थी।

  • यानी साल-दर-साल लगभग 7.5% की वृद्धि दर्ज की गई।

यह बढ़ती संख्या दर्शाती है कि भारत में टैक्स कंप्लायंस और टैक्स बेस दोनों मजबूत हो रहे हैं।

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