पितृ पक्ष और त्रिपिंडी श्राद्ध की परंपरा
Tripindi Shraddha : पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए विभिन्न प्रकार के श्राद्ध किए जाते हैं। इनमें से त्रिपिंडी श्राद्ध खास चर्चा का विषय रहता है। इसे करने से न केवल पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है बल्कि परिवार पर देवी-देवताओं की कृपा भी बनी रहती है।
श्राद्ध के 12 प्रकार – भविष्य पुराण के अनुसार
भविष्य पुराण में श्राद्ध को 12 भागों में विभाजित किया गया है। हर प्रकार के श्राद्ध का अलग उद्देश्य और महत्व है।
1. नित्य श्राद्ध
प्रतिदिन जल या अन्न द्वारा किया जाने वाला श्राद्ध।
➡ लाभ: निरंतर प्रगति और सफलता।
2. नैमित्तिक श्राद्ध
किसी विशेष कारण या निमित्त से किया जाने वाला श्राद्ध।
➡ लाभ: स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि।
3. काम्य श्राद्ध
विशेष इच्छाओं की पूर्ति हेतु किया गया श्राद्ध।
➡ लाभ: बड़ी उपलब्धियां हासिल होती हैं।
4. वृद्ध श्राद्ध
विवाह या उत्सव जैसे अवसरों पर वृद्धों का आशीर्वाद पाने हेतु।
➡ लाभ: वैवाहिक जीवन सफल और सुखमय।
5. सपिंडित श्राद्ध
सम्मान और रिश्तों की मजबूती हेतु।
➡ लाभ: समाज और परिवार में मान-सम्मान।
6. पार्वण श्राद्ध
अमावस्या जैसे पर्वों पर मंत्रों के साथ किया जाने वाला श्राद्ध।
➡ लाभ: घर में समृद्धि और खुशहाली।
7. गोष्ठ श्राद्ध
गौशाला में किया जाने वाला श्राद्ध।
➡ लाभ: स्त्री सुख और गृहस्थ जीवन में संतुलन।
8. शुद्धि श्राद्ध
स्वयं की शुद्धि और दोष निवारण हेतु।
➡ लाभ: नकारात्मकता और ऑफिस पॉलिटिक्स से बचाव।
9. कर्मांग श्राद्ध
संतान और वंश वृद्धि हेतु संस्कारों में किया जाने वाला श्राद्ध।
➡ लाभ: संतान बुढ़ापे में सहारा बनती है।
10. दैविक श्राद्ध
देवताओं को प्रसन्न करने हेतु।
➡ लाभ: अन्न-धन की कभी कमी नहीं रहती।
11. यात्रार्थ श्राद्ध
यात्रा से पहले किया गया श्राद्ध।
➡ लाभ: व्यवसायिक और धार्मिक यात्राओं में सफलता।
12. पुष्टि श्राद्ध
परिवार और प्रियजनों की भलाई हेतु।
➡ लाभ: विदेश यात्रा का अवसर और निरंतर सफलता।
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त्रिपिंडी श्राद्ध कब और कैसे करें?
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समय: पितृ पक्ष में किसी भी दिन विशेष पूजा विधि से त्रिपिंडी श्राद्ध किया जा सकता है।
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विधि: इसमें तीन पिंड अर्पित किए जाते हैं – एक पितृगण के लिए, दूसरा देवताओं के लिए और तीसरा ऋषियों के लिए।
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कौन करें: जिनके पितृ शांत नहीं हुए हों, जिनके घर में बार-बार बाधाएं आती हों या जिनकी कुंडली में पितृ दोष हो, उन्हें विशेष रूप से यह श्राद्ध करना चाहिए।
त्रिपिंडी श्राद्ध के लाभ
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पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
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घर-परिवार में शांति और समृद्धि आती है।
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व्यापार और करियर में रुकावटें दूर होती हैं।
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देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। (Tripindi Shraddha)
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।)














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