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Historical Facts: मीर जाफर की कहानी, अंग्रेजों से मिलकर मुगलों का खजाना लुटाने वाला नवाब, जिसने खुद अपनी बर्बादी लिखी…

Historical Facts: मीर जाफर की कहानी, अंग्रेजों से मिलकर मुगलों का खजाना लुटाने वाला नवाब, जिसने खुद अपनी बर्बादी लिखी...

Historical Facts: भारत के इतिहास में “विश्वासघात” शब्द का पर्याय अगर किसी व्यक्ति को कहा जाए, तो वह है मीर जाफर (Mir Jafar)। बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का सेनापति होने के बावजूद, उसने प्लासी की लड़ाई (Battle of Plassey) में अंग्रेजों का साथ देकर भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मीर जाफर, जिसने मुगलों का खजाना अंग्रेजों के हवाले किया, आखिरकार अपने ही जाल में फंस गया और उसकी गद्दी भी चली गई? आइए जानते हैं उसकी कहानी —

बंगाल: मुगल साम्राज्य का सबसे समृद्ध सूबा

  • मुगल काल में बंगाल सूबा सबसे समृद्ध प्रांत था, जिसकी राजधानी मुर्शिदाबाद थी।
  • इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने अपनी किताब The Anarchy में लिखा है कि मुर्शिदाबाद की आबादी उस समय लंदन के बराबर थी।
  • नवाब अलीवर्दी खान (Alivardi Khan) के शासनकाल (1740-1756) को बंगाल का स्वर्ण युग (Golden Era) कहा जाता है।
  • लेकिन औरंगजेब द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को शुल्क मुक्त व्यापार की अनुमति देने के बाद अंग्रेजों की ताकत धीरे-धीरे बढ़ने लगी।

सिराजुद्दौला बना नवाब, और मीर जाफर ने रचा षड्यंत्र

  • साल 1756 में सिराजुद्दौला (Siraj-ud-Daulah) 23 वर्ष की आयु में बंगाल का नवाब बना।
  • उसका सेनापति था मीर जाफर, जो खुद नवाब बनना चाहता था।
  • जब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों को कलकत्ता (अब कोलकाता) में फोर्ट विलियम की किलेबंदी रोकने का आदेश दिया, तो उन्होंने उसका पालन नहीं किया।
  • इससे क्रोधित होकर नवाब ने हमला कर अंग्रेजों को “ब्लैक होल ऑफ कलकत्ता” नामक घटना में कैद कर लिया।

रॉबर्ट क्लाइव और मीर जाफर की गुप्त साजिश

अंग्रेजों की हार के बाद रॉबर्ट क्लाइव (Robert Clive) ने बदला लेने की योजना बनाई। उसे पता था कि मीर जाफर नवाब की गद्दी का लालची है।
क्लाइव ने मीर जाफर को पत्र लिखकर वादा किया —

“अगर तुम हमारी मदद करोगे, तो तुम्हें बंगाल की गद्दी मिलेगी।”

मीर जाफर ने पहले जवाब नहीं दिया, लेकिन मन ही मन उसने अंग्रेजों से मिलकर धोखा देने की योजना बना ली

प्लासी की लड़ाई और इतिहास की सबसे बड़ी गद्दारी

  • 23 जून 1757 को प्लासी के मैदान (Plassey Field) में सिराजुद्दौला और रॉबर्ट क्लाइव की सेनाओं में युद्ध हुआ।
  • नवाब की सेना 50,000 थी, जबकि अंग्रेजों के पास केवल 3,000 सैनिक थे।
  • लेकिन जैसे ही लड़ाई शुरू हुई, मीर जाफर ने अपने सैनिकों को पीछे हटने का आदेश दे दिया।

नतीजा — नवाब सिराजुद्दौला की हार, और अंग्रेजों की जीत।
यहीं से भारत में ब्रिटिश राज की नींव रखी गई(Historical Facts)

अंग्रेजों से दोस्ती की भारी कीमत

रॉबर्ट क्लाइव ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया। लेकिन यह “इनाम” वास्तव में उसकी बर्बादी की शुरुआत थी।

  • मीर जाफर ने क्लाइव और उसकी सेना को 2.75 लाख पाउंड (22.5 मिलियन रुपये) दिए।

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  • क्लाइव को 34,567 पाउंड की निजी जागीर भी दी गई।

धीरे-धीरे मीर जाफर का खजाना खाली हो गया, और जब उसने अंग्रेजों को पैसे देना बंद किया — उन्होंने उसे हटा कर मीर कासिम को नवाब बना दिया। (Historical Facts)

गद्दारी का अंजाम: अपमान और विनाश

  • मीर जाफर ने सोचा था कि अंग्रेजों के साथ रहकर वह बंगाल का सबसे शक्तिशाली शासक बन जाएगा, लेकिन वही अंग्रेज बाद में उसकी सत्ता और सम्मान दोनों छीन ले गए
  • इतिहासकारों का मानना है कि अगर मीर जाफर ने विश्वासघात न किया होता, तो शायद भारत पर अंग्रेजों का शासन इतना जल्दी स्थापित नहीं हो पाता।

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