Gambling On Diwali: कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को हर साल दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस साल दिवाली 20 अक्टूबर 2025 (रविवार) को है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है ताकि घर में धन, समृद्धि और खुशहाली बनी रहे। माना जाता है कि दिवाली की रात जो भी व्यक्ति श्रद्धा से लक्ष्मी-गणेश का पूजन करता है, उसके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
दिवाली पर जुआ और ताश खेलने की परंपरा – कैसे शुरू हुई?
- भारत में जुआ खेलने की परंपरा बहुत प्राचीन मानी जाती है। पहले के समय में इसे चौसर और चौपड़ के रूप में खेला जाता था, जबकि आज के दौर में ताश के पत्तों से खेला जाता है।
- कहते हैं कि दिवाली पर जुआ खेलने की परंपरा भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी हुई है।
- एक पौराणिक कथा के अनुसार, दिवाली के दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने आपस में जुआ खेला था, जिसमें भगवान शिव हार गए थे। तभी से यह परंपरा शुभ शगुन के रूप में मनाई जाने लगी।
महाभारत और जुए का संबंध
- जुए का जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है। कौरवों और पांडवों के बीच जुए का खेल ही उस महान युद्ध का कारण बना था।
- हालांकि उस समय जुआ केवल भाग्य आजमाने के लिए नहीं, बल्कि रणनीतिक बुद्धि की परीक्षा के लिए खेला जाता था। (Gambling On Diwali)
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क्या दिवाली के दिन जुआ खेलना उचित है?
- हालांकि दिवाली पर शगुन के रूप में ताश खेलना कई घरों में परंपरा के रूप में प्रचलित है, लेकिन कानूनी और धार्मिक दृष्टि से जुआ खेलना उचित नहीं माना गया है।
- जुआ को हमेशा से सामाजिक बुराई कहा गया है, क्योंकि यह लालच और विवाद को जन्म देता है। इसीलिए दिवाली जैसे पवित्र पर्व पर जुआ खेलने से बचना चाहिए और इसे केवल मनोरंजन या प्रतीकात्मक रूप में खेलना ही सही रहता है।
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