भारतीय सेना का गेम-चेंजर प्लान
DRDO भारतीय सेना और वायुसेना आने वाले वर्षों में अपनी ताकत को और ज्यादा हाई-टेक बनाने जा रही हैं। इसके लिए दोनों सेनाओं ने 150 रिमोटली पायलटेड स्ट्राइक एयरक्राफ्ट (UCAV) खरीदने की तैयारी कर ली है।
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भारतीय थलसेना: 100 UCAV
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भारतीय वायुसेना: 50 UCAV
ये स्टील्थ अनमैन्ड कॉम्बैट एयर व्हीकल (UCAV) इतने घातक होंगे कि दुश्मन के शहर और बेस पलक झपकते ही तबाह कर देंगे।
खासियतें जो बनाएंगी दुश्मन का डर
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सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरने की क्षमता।
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लो-ऑब्जर्वेबल स्टील्थ टेक्नोलॉजी – राडार पर पकड़ना बेहद मुश्किल।
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4000 किलो तक हथियार ले जाने की क्षमता, जिसमें एयर-टू-एयर और एयर-टू-सरफेस मिसाइल शामिल होंगी।
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MUM-T (Man-Unmanned Teaming) तकनीक – तेजस और राफेल जैसे फाइटर जेट्स के साथ मिशन पूरा करने में सक्षम।
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AI आधारित एवियोनिक्स और टारगेटिंग सिस्टम।
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LPI राडार और EO/IR सेंसर।
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सैटेलाइट लिंक और 300 किमी तक का LOS कम्युनिकेशन कंट्रोल।
कौन बना रहा है ये घातक ड्रोन?
इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है DRDO का एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADE)।
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इसका डिज़ाइन फ्लाइंग-विंग पैटर्न पर है, जिससे इसका राडार क्रॉस सेक्शन (RCS) बेहद कम होगा।
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इसमें देश में बने कावेरी इंजन (ड्राई वेरिएंट, 52 kN थ्रस्ट) का इस्तेमाल होगा।
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कब आएगा मैदान में?
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SWIFT डेमोंस्ट्रेटर मॉडल ने दिसंबर 2023 में कर्नाटक के चित्रदुर्ग में सफल परीक्षण किया था।
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उम्मीद है कि इसका फुल-स्केल प्रोटोटाइप 2026 तक उड़ान भरेगा।
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बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन 2030-31 तक शुरू हो सकता है।
क्यों जरूरी है ये UCAV?
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चीन ने 2024 में अपना Type-B UCAV पेश किया।
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पाकिस्तान पहले ही चीन से एडवांस ड्रोन और J-10CE फाइटर जेट्स खरीद चुका है।
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LAC और पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते खतरों को देखते हुए, भारतीय सेना के लिए ये UCAV बेहद अहम साबित होंगे।
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13 टन वजनी यह घातक ड्रोन एयरबेस, राडार स्टेशन और दुश्मन के कमांड सेंटर तक गहरे हमले करने में सक्षम होगा।
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