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Critical Minerals India: भारत की तरक्की के लिए क्रिटिकल मिनरल्स क्यों हैं जरूरी? इंडिया-यूके डील से जुड़े अहम तथ्य…

Critical Minerals India: भारत की तरक्की के लिए क्रिटिकल मिनरल्स क्यों हैं जरूरी? इंडिया-यूके डील से जुड़े अहम तथ्य...

Critical Minerals India: भारत और यूनाइटेड किंगडम ने शिक्षा, क्लाइमेट चेंज, रक्षा और क्रिटिकल मिनरल्स समेत कई क्षेत्रों में सहयोग की प्रतिबद्धता जताई है।

  • 468 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट: यूके लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइलें भारत को सप्लाई करेगा।

  • 333 मिलियन डॉलर का प्रारंभिक समझौता: युद्धपोतों के लिए इलेक्ट्रिक पावर इंजन पर।

इस डील का केंद्र क्रिटिकल मिनरल्स और रक्षा तकनीक है, जो भारत की आर्थिक और तकनीकी तरक्की में मदद करेगी।

क्रिटिकल मिनरल्स क्या हैं?

क्रिटिकल मिनरल्स वे प्राकृतिक संसाधन हैं, जो आर्थिक सुरक्षा, टेक्नोलॉजिकल प्रगति और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए जरूरी हैं।

  • इस्तेमाल: इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरियां, सोलर पैनल, रीन्यूएबल एनर्जी, मिसाइल, उपग्रह, लड़ाकू विमान आदि।

  • मांग: क्लीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बढ़ते इस्तेमाल के साथ इनकी जरूरत बढ़ रही है।

क्यों जरूरी हैं?

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास: सप्लाई में रुकावट देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।

  2. हाई-टेक और ग्रीन टेक्नोलॉजी: स्मार्टफोन, कंप्यूटर, ईवी बैटरियां, सोलर पैनल और पवन टरबाइन में उपयोग।

  3. डिफेंस टेक्नोलॉजी: रडार सिस्टम, मिसाइल और उपग्रह निर्माण में महत्वपूर्ण।

महत्व

  • भारत ने 2070 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य रखा है।

  • ईवी सेक्टर, सेमीकंडक्टर उत्पादन और डिफेंस इंडस्ट्री में इन मिनरल्स की अहमियत बढ़ी है।

  • भारत की 10 बिलियन डॉलर की सेमीकंडक्टर योजना को क्रिटिकल मिनरल्स की उपलब्धता से मजबूती मिलेगी।

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भारत में पाए जाने वाले 30 क्रिटिकल मिनरल्स

  • मुख्य मिनरल्स और उपयोग:

    • एन्टिमनी: अग्निरोधक सामग्री

    • बेरिलियम: मिसाइल टेक्नोलॉजी और एयरोस्पेस

    • कोबाल्ट: ईवी बैटरियां

    • गैलियम: सोलर सेल

    • जर्मेनियम: फाइबर ऑप्टिक्स

    • कॉपर: इलेक्ट्रिक वायर

    • ग्रेफाइट, लिथियम, निकल, प्लेटिनम, रेयर अर्थ एलिमेंट्स आदि (Critical Minerals India)

कहां पाए जाते हैं?

  • लिथियम: जम्मू-कश्मीर (रियासी)

  • रेयर अर्थ एलिमेंट्स: ओडिशा, केरल

  • बॉक्साइट और मैंगनीज: गोवा

  • यूरेनियम: झारखंड

  • थोरियम और पाइराइट्स: राजस्थान

  • टंगस्टन और क्रोमाइट: तमिलनाडु, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक

भारत अपनी जरूरत का 60% Rare Earth Elements चीन से इम्पोर्ट करता है, इसलिए घरेलू उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है।

ब्रिटेन के साथ समझौते का महत्व

  • सप्लाई चेन को सुरक्षित और स्थिर बनाने के लिए UK-India Critical Minerals Supply Chain Observatory का गठन।

  • क्रिटिकल मिनरल्स इंडस्ट्री गिल्ड: ग्रीन टेक्नोलॉजी और उत्पादन क्षमता को बढ़ावा।

  • लक्ष्य: आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और उद्योग विस्तार में मदद।

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