कहानी में जादू और रहस्य का मेल
Jugnuma Movie Review :फिल्म Jugnuma, डायरेक्टर राम रेड्डी की दूसरी फीचर फिल्म है, जिसमें मैजिक रियलिज़्म (जादुई यथार्थवाद) की खूबसूरत झलक देखने को मिलती है। कहानी 1989 के उत्तराखंड की है, जहां देव (मनोज बाजपेयी) अपनी पत्नी नंदिनी (प्रियंका बोस), बेटी वन्या (हिरल सिद्धु), बेटे जुजू (अवान पूकॉट) और पालतू डॉग्स के साथ एक पहाड़ी एस्टेट में रहते हैं।
देव के पास पंख हैं और वह अक्सर इन्हें पहनकर पहाड़ों से उड़ान भरते हैं। उनके इस रहस्यमयी जीवन में तब हलचल मचती है, जब उनकी एस्टेट में पेड़ों में अचानक आग लगनी शुरू हो जाती है।
अभिनय और किरदार
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मनोज बाजपेयी (देव): कम डायलॉग्स के बावजूद दमदार स्क्रीन प्रेज़ेंस।
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दीपक डोबरियाल: एस्टेट मैनेजर के रूप में साधारण लेकिन गहरे प्रभावशाली रोल।
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प्रियंका बोस (नंदिनी): एक संवेदनशील पत्नी और मां के रूप में बेहतरीन परफॉर्मेंस।
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तिलोत्तमा शोम: छोटे से रोल में भी दमदार छाप, उनकी कुमाऊंनी बोली काबिले तारीफ है।
सिनेमैटोग्राफी और निर्देशन
फिल्म को 16mm कैमरे पर शूट किया गया है, जो इसे पुरानी यादों जैसा टेक्सचर देता है। सिनेमैटोग्राफर सुनील बोरकर ने पहाड़ों, रात के तारों और गांव की खूबसूरती को पर्दे पर जीवंत बना दिया है।
राम रेड्डी का निर्देशन फिल्म को एक परिकथा जैसा अहसास देता है – कभी यह सपनों जैसा लगता है तो कभी रहस्यमयी पहेली जैसा।
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फिल्म की कमजोर कड़ियाँ
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फिल्म कई बार अपने रहस्य पर गहराई से जाने के बजाय मिस्टिकल जवाबों से काम चलाती है।
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भावनात्मक जुड़ाव हर जगह उतना गहरा महसूस नहीं होता।
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जो दर्शक स्पष्ट कहानी और क्लोज़्ड एंडिंग चाहते हैं, उनके लिए यह थोड़ी उलझी हुई लग सकती है।
क्यों देखें Jugnuma?
अगर आप सिनेमा में जादू, रहस्य और खूबसूरत विज़ुअल्स का अनुभव करना चाहते हैं तो Jugnuma एक बेहतरीन विकल्प है। यह फिल्म दर्शकों को तर्क और जादू के बीच उलझाए रखती है, और शायद यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है। (Jugnuma Movie Review)















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