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Islamic Beliefs: हज–उमराह के दौरान मौत पर क्या मिलती है ‘जन्नत’? जानें इस्लाम की असली मान्यता…

Islamic Beliefs: हज–उमराह के दौरान मौत पर क्या मिलती है ‘जन्नत’? जानें इस्लाम की असली मान्यता...

Islamic Beliefs: सऊदी अरब में 17 नवंबर को हुए भीषण बस हादसे में 42 भारतीय उमराह यात्रियों की मौत के बाद हज और उमराह से जुड़े नियम एक बार फिर चर्चा में हैं। खासकर वो सवाल, जिसे लेकर लोग सबसे ज्यादा जानना चाहते हैं— क्या हज या उमराह के दौरान मौत होने पर जन्नत मिलती है? आइए विस्तार से समझते हैं।

सऊदी अरब का नियम: हज–उमराह के दौरान मौत होने पर शव देश नहीं भेजा जाता

सऊदी सरकार के अनुसार यदि किसी तीर्थयात्री की मक्का, मदीना या सऊदी अरब में तीर्थयात्रा के दौरान प्राकृतिक कारणों या दुर्घटना से मृत्यु हो जाती है, तो उनका शव उनके देश वापस नहीं भेजा जाता।

बल्कि उन्हें इस्लामी रीति से सऊदी की पवित्र मिट्टी में दफनाया जाता है, जिसे मुस्लिम समुदाय एक बड़ा सौभाग्य मानता है।

कहां होती है नमाज़-ए-जनाज़ा?

इस्लामिक परंपरा के अनुसार स्थान के हिसाब से नमाज़-ए-जनाज़ा इस प्रकार पढ़ी जाती है—

  • मक्का, मिऩा, मुज़दलफ़ा में मौत – नमाज़-ए-जनाज़ा मस्जिद अल-हराम (काबा शरीफ) में

  • मदीना में मौत – नमाज़-ए-जनाज़ा मस्जिद-ए-नबवी में

  • जेद्दा या अन्य शहरों में – स्थानीय मस्जिद में जनाज़ा

मक्का–मदीना में दफन होना क्यों माना जाता है खुशकिस्मती?

  • हज या उमराह पर जाने वाले लोग एक सफेद कपड़ा साथ रखते हैं, जिसे उनका “कफन” माना जाता है।
  • यात्रा के दौरान मौत होने पर उसी में दफन किया जाता है।
  • इस्लामिक मान्यता है कि मक्का और मदीना की मिट्टी में दफन होना एक बड़ी नेमत है।
  • कई लोगों की ख्वाहिश होती है कि अगर मौत आए, तो इन्हीं पवित्र शहरों में आए।

सबसे पवित्र कब्रिस्तान: जन्नत-उल-बकी

  • मदीना का सबसे पहला और ऐतिहासिक कब्रिस्तान जन्नत-उल-बकी है।
  • माना जाता है कि यहां पैगंबर मुहम्मद ﷺ के कई परिवारजनों और सहाबा (साथियों) की कब्रें मौजूद हैं।
  • इस्लामिक मान्यता है कि जिसे यहां दफन होने का मौका मिलता है, वह जन्नत का हकदार बनता है
  • इसी कारण ज़ायरीन की इच्छा होती है कि यदि सफर में मौत हो जाए तो दफन यहीं किया जाए।

क्या हज या उमराह के दौरान मौत पर ‘जन्नत’ मिलती है? इस्लाम क्या कहता है?

हदीसों में साफ तौर पर बताया गया है कि:

हज के दौरान मौत = शहीद का दर्जा

पैगंबर मुहम्मद ने फरमाया:

“जो व्यक्ति हज के दौरान या उसके तुरंत बाद मर जाता है, उसे शहीद का दर्जा दिया जाता है और उसका हज उसके लिए सिफारिश करेगा।”

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उमराह के दौरान मौत = उमराह का सवाब कयामत तक मिलता रहेगा

एक हदीस में कहा गया है:

“जो उमराह करने निकला और रास्ते में मर गया, उसके लिए क़यामत के दिन तक उमराह का सवाब लिखा जाता रहेगा।” (Islamic Beliefs)

इस्लामिक स्कॉलर्स का क्या कहना है?

प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर सलाउद्दीन कासमी बताते हैं कि:

  • जो मुसलमान अल्लाह के घर (हरम) की यात्रा में मौत पाते हैं, उन्हें सिर्फ “मौत” नहीं मिलती—
    बल्कि अल्लाह की रहमत, जन्नत का बुलावा और शहीद का दर्जा मिलता है।

  • यह मौत नहीं, बल्कि इबादत का मुकम्मल इनाम है।

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