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Pinddaan Method and Mantra: पितृ पक्ष में कैसे करें पिंडदान, जानिए विधि, सही तरीका और महत्व…

Pinddaan Method and Mantra: पितृ पक्ष में कैसे करें पिंडदान, जानिए विधि, सही तरीका और महत्व...

Pinddaan Method and Mantra: श्राद्ध और पितृ पक्ष के अवसर पर अपने पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए किया जाने वाला विशेष अनुष्ठान ही पिंडदान कहलाता है। इसमें पूर्वजों को अन्न, तिल, दूध, दही और जल अर्पित कर उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

पिंडदान कैसे करें? (Step by Step विधि)

  1. भोग लगाना – श्राद्ध के दिन खीर, पूड़ी, सब्जी और पितरों की प्रिय वस्तु बनाकर गोबर के उपले पर रखा जाता है।

  2. अर्घ्य देना – सीधे हाथ से कोर के दाहिने ओर जल अर्पित किया जाता है।

  3. पिंड बनाना – पके हुए चावल, तिल और दूध से बने पिंड (गोल आकार) को अर्पित किया जाता है।

  4. पितृतीर्थ मुद्रा – दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, बायां घुटना मोड़कर बैठें और दाहिने हाथ से पिंड स्थापित करें।

  5. बारह पिंड अर्पण – देवताओं, ऋषियों, दिव्य पितरों, यम, मनुष्य-पितरों, मृतात्मा, पुत्रदारा रहितों, कुलवंशहीनों, गर्भपात से मृत शिशुओं और अन्य बंधुओं के लिए 12 पिंड अर्पित किए जाते हैं। (Pinddaan Method and Mantra)

पिंडदान मंत्र

पिंडों पर दूध, दही और मधु चढ़ाकर इस मंत्र का जाप करें –

“ॐ पयः पृथ्वियां पयो ओषधीय, पयो दिव्यन्तरिक्षे पयोधाः। पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम्।।“

यह मंत्र पितरों की तृप्ति और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। (Pinddaan Method and Mantra)

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पिंडदान का महत्व (Benefits)

गरुड़ पुराण और श्रीकृष्ण के वचन के अनुसार –

  • समय पर श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता।

  • पितृ पूजा से आयु, संतान, यश, कीर्ति, बल, सुख और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

  • देवताओं की पूजा से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक शुभ और कल्याणकारी माना गया है।

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