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Foamy Urine: यूरिन में झाग आना किस बीमारी का संकेत है? जानें एक्सपर्ट की राय…

Foamy Urine: यूरिन में झाग आना किस बीमारी का संकेत है? जानें एक्सपर्ट की राय...

Foamy Urine: कभी-कभी पेशाब (Urine) में झाग दिखना सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर यह हर बार या लगातार हो रहा है, तो यह आपके किडनी हेल्थ से जुड़ा एक चेतावनी संकेत (Warning Sign) भी हो सकता है। डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी भी एक वजह हो सकती है, लेकिन अगर साथ में सूजन, थकान या यूरिन के रंग में बदलाव दिखे – तो यह किसी गंभीर बीमारी की तरफ इशारा कर सकता है।

यूरिन में झाग क्यों आता है?

यूरिन में झाग बनने के कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर जब शरीर में पानी कम होता है, तो यूरिन गाढ़ा होकर झागदार दिख सकता है।
लेकिन लगातार झाग आना शरीर में प्रोटीन लीक (Proteinuria) का संकेत होता है — यानी आपकी किडनी सही से फिल्टरिंग नहीं कर रही

मैक्स हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. रोहित कपूर के मुताबिक, झागदार यूरिन के पीछे ये प्रमुख वजहें हो सकती हैं:

  • क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease)

  • डायबिटीज (Diabetes)

  • हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension)

  • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI)

  • लीवर डिजीज (Liver Disease)

  • ज्यादा प्रोटीन युक्त डाइट या सप्लीमेंट्स का सेवन

कब समझें यह खतरे का संकेत है?

अगर पेशाब में झाग के साथ ये लक्षण भी दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें –

  • बार-बार पेशाब लगना

  • यूरिन का रंग गाढ़ा या पीला होना

  • शरीर, आंखों या चेहरे पर सूजन

  • लगातार थकान या कमजोरी

  • भूख कम लगना या मतली महसूस होना

ये सभी संकेत किडनी फेलियर (Kidney Failure) जैसी गंभीर समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं।

जांच कैसे कराएं?

अगर समस्या कई दिनों तक बनी रहे, तो डॉक्टर ये टेस्ट कराने की सलाह देते हैं –

  1. Urine Protein Test (यूरिन प्रोटीन टेस्ट) – यह जांच बताती है कि पेशाब में प्रोटीन की मात्रा कितनी है।

  2. Kidney Function Test (KFT) – इससे किडनी की कार्यप्रणाली का पता चलता है।

  3. Blood Sugar Test – डायबिटीज से जुड़ा कारण जानने के लिए।

इन टेस्ट की मदद से सही बीमारी की पहचान कर समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है। (Foamy Urine)

झागदार यूरिन से बचाव के उपाय

  • रोजाना कम से कम 7–8 गिलास पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेट रहे।

  • प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन जरूरत से ज्यादा न करें।

  • डायबिटीज और हाई बीपी को कंट्रोल में रखें।

  • नमक और प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम करें।

  • नियमित रूप से यूरिन और ब्लड टेस्ट करवाते रहें।

  • किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह लें।

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