लिसा स्थालेकर – खिलाड़ी, मेंटर और क्रिकेट की मशाल
Amanjot Kaur : ऑस्ट्रेलिया की चार बार की वर्ल्ड कप विजेता लिसा स्थालेकर ने सिर्फ खिलाड़ी के रूप में नहीं, बल्कि कोच, मेंटर और कमेंटेटर के रूप में भी क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बनाई है।
2025 महिला ODI वर्ल्ड कप 30 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। इस अवसर पर लिसा ने IANS से विशेष बातचीत की और भारत की संभावनाओं, ऑस्ट्रेलिया की टाइटल रक्षा, और टूर्नामेंट की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों पर अपने विचार साझा किए।
क्या यह अब तक का सबसे रोमांचक वुमेन वर्ल्ड कप होगा?
स्थालेकर का मानना है कि पिछले 2022 वर्ल्ड कप में लगभग 10 मैच आखिरी ओवर तक रोमांचक थे। हालांकि, इस बार आखिरी गेंद तक मुकाबला उतना कड़ा नहीं हो सकता।
लेकिन टूर्नामेंट में नए युवा खिलाड़ी शामिल होने से टीमों की गहराई बढ़ी है, जिससे हर मैच चुनौतीपूर्ण होगा और कोई भी मैच आसान नहीं होगा।
ऑस्ट्रेलिया का टाइटल डिफेंड करने का मौका
स्थालेकर के अनुसार:
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ऑस्ट्रेलिया के पास टाइटल डिफेंड करने के लिए सभी ज़रूरी तत्व मौजूद हैं।
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लेकिन 50 ओवर वर्ल्ड कप में लगातार घरेलू लीग और द्विपक्षीय सीरीज़ खेलना खिलाड़ियों के लिए शारीरिक और मानसिक चुनौती बन सकता है।
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यह टूर्नामेंट “सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट” बन सकता है।
भारत के संभावित टाइटल दावेदार
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भारत को घर का लाभ और दर्शकों का उत्साह मिलेगा, जो दबाव के साथ ऊर्जा भी जोड़ सकता है।
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स्मृति मंधाना पहले ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार प्रदर्शन कर चुकी हैं।
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दीप्ति शर्मा ने ऑल-राउंड क्षमता के साथ अपना स्थान पक्का कर लिया है।
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रिचा घोष टीम को आखिरी ओवर में ताकत देती हैं।
स्थालेकर का मानना है कि यदि भारत जल्दी शुरूआत करता है, तो यह टूर्नामेंट के लिए बेहद सकारात्मक साबित हो सकता है।
सेमीफाइनल की संभावित टीमें
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ऑस्ट्रेलिया और भारत के अलावा न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ्रीका भी मजबूत दावेदार हैं।
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इंग्लैंड के लिए यह एक प्रश्नचिन्ह हो सकता है।
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नत स्किवर-ब्रंट और हीदर नाइट टीम की सफलता की कुंजी हैं।
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मध्यक्रम में कोई खिलाड़ी यदि टूर्नामेंट का प्रदर्शन धमाकेदार करता है, तो इंग्लैंड सेमीफाइनल तक पहुँच सकता है।
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ऑस्ट्रेलिया का लगातार टॉप पर बने रहने का रहस्य
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भूख और इच्छाशक्ति टीम को अलग बनाती है।
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दबाव में टीम शांत रहती है और कई खिलाड़ी मैच विनर बनने की क्षमता रखते हैं।
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पिछली हारों के बाद टीम और अधिक भूखी और प्रेरित हो गई है।
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लक्ष्य है लगातार 50-ओवर वर्ल्ड कप जीतना, जो 1988 के बाद कोई टीम नहीं कर पाई।
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नए और कम दर्शक वाले स्टेडियम का महत्व
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छोटे स्टेडियमों में फैन एंगेजमेंट बढ़ता है।
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दर्शकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी मैच को खास बनाती है।
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स्थालेकर ने ऑस्ट्रेलिया में वुमेन फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान इस अनुभव को साझा किया।
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यह उम्मीद की जाती है कि लोग महिलाओं के खेल को सपोर्ट करेंगे, न सिर्फ़ भारतीय टीम, बल्कि पूरी वुमेन क्रिकेट को बढ़ावा मिलेगा।
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